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2025-02-03 07:53 | 星期一

Virti Ruchi歌词-Rohan Jain&Sanket Gandhi

Virti Ruchi歌词由Rohan Jain&Sanket Gandhi演唱,出自专辑《Virti Ruchi》,下面是《Virti Ruchi》完整版歌词!

Virti Ruchi歌词

Virti Ruchi歌词完整版

|| श्री ||

विरती रुचि

पूर्वभवोमां पाम्यो सन्मति ने

हुं पहोंच्यो छु मानवगतिए

सन्मति जे पाम्यो एनु कारण सत्संगरति

एना हर्षे दूरे थया संसारना रति-अरति

विरतिरुचि आ भवमां पण मांगु हुं अंतसुधी

विरतिरुचि आ भवथी मने लई जाशे मोक्षसुधी

संस्कारो आ जन्मोनां

जेणे छे रमाड्यू भवोभव

कर्मोना आ कादवथी

शुध्द करे आ अनुभव

संयम छे सरनामु ज्या सुखनी वृध्दी

संयम ते मळवानु मुकी गुरुचरणे बुध्दी

विरतिरुचि......

विरति छे सम्यक् अर्चनम्

मैत्रीभावनु स्पर्शनम्

विरति छे सम्यक् अर्चनम्

सर्वस्वनु समर्पणम्

संबंधो आ त्यागीने

हवे सिध्दिपथपर छे नजर

महाव्रतना पालनमां

राच्यो हुं रहीश हर प्रहर

संयम छे गमवानु देव-गुरु अनुग्रहथी

संयम छे घुटवानु, जेथी थाशे प्रगती

विरतिरुचि...

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