Virti Ruchi歌词由Rohan Jain&Sanket Gandhi演唱,出自专辑《Virti Ruchi》,下面是《Virti Ruchi》完整版歌词!
Virti Ruchi歌词完整版
|| श्री ||
विरती रुचि
पूर्वभवोमां पाम्यो सन्मति ने
हुं पहोंच्यो छु मानवगतिए
सन्मति जे पाम्यो एनु कारण सत्संगरति
एना हर्षे दूरे थया संसारना रति-अरति
विरतिरुचि आ भवमां पण मांगु हुं अंतसुधी
विरतिरुचि आ भवथी मने लई जाशे मोक्षसुधी
संस्कारो आ जन्मोनां
जेणे छे रमाड्यू भवोभव
कर्मोना आ कादवथी
शुध्द करे आ अनुभव
संयम छे सरनामु ज्या सुखनी वृध्दी
संयम ते मळवानु मुकी गुरुचरणे बुध्दी
विरतिरुचि......
विरति छे सम्यक् अर्चनम्
मैत्रीभावनु स्पर्शनम्
विरति छे सम्यक् अर्चनम्
सर्वस्वनु समर्पणम्
संबंधो आ त्यागीने
हवे सिध्दिपथपर छे नजर
महाव्रतना पालनमां
राच्यो हुं रहीश हर प्रहर
संयम छे गमवानु देव-गुरु अनुग्रहथी
संयम छे घुटवानु, जेथी थाशे प्रगती
विरतिरुचि...