Gum歌词由Shloka演唱,出自专辑《Panchtatva》,下面是《Gum》完整版歌词!
Gum歌词完整版
एक सफर पे मैं कई बरस से हूं
बस नजर टिकाए सड़क पे हूं
ना जहन में कोई कसक रखा
बस सबर से अपनी डगर चलूं
क्या गिराओगे जिन्दगी? हर दफा मैं
उठा! खुद से खुद का दूं भोर उगा
किसी चिता के जलने पे जो धुआं निकले
धुआं उतना कब का हूं घोंट चुका
अब नीचे है बिस्तर के
रिश्तों के मलबे
कहने को सत्तर हैं
कितने थे अपने
सीने पे पत्थर और
छिलते थे तलवे
पर मरने से बदतर था
मरते जो सपने
वेग रूका गर दबे ख़्वाब
यहां ढ़ेर छुपे हैं डरे ख़्वाब
तुम खोद लो कभी किसी कब्र को तो
मिले एक लाश कई मरे ख्वाब
Hook:-
गुम़ कहीं हूं खुद में ही मैं, और खुद को पाने चला
खुदी को खुद में ढूंढता मैं खुद का खुद हमनवा
Verse:-2
जब हर तरफ सर्द रात घेरे
उस वक़्त लफ्ज़ साथ मेरे
जब तलक हर्फ हाथ लिखे
तब तलक अर्श हाथ मेरे
सोचा ना चलने से पहले कि होगा कमबख्त क्या अंज़ाम
जो होना सो होगा ना रखता मैं कोई सल्तनत का अरमान
वो बिछड़ गये
जो करीब थे
सब बिखर गये
हम वहीं पे थे
हर शिकस्त से
हर शिखर तलक
हम सिफर में बैठे
फ़कीर से
तो मत डरा तू जलजला ए शोर
चल रहा हूं सब लगा के जोर
जिस खुदी का मिलना खुदा है
चल पड़ा मैं उस खुदा के ओर